आज जों कटा काश्मीर तो है कल त्रावणकोर की बारी
वो दिन दूर नहीं जब पंजाब बंगाल करने लगे अलग होने की तैयारी
काश्मीर को तो जैसे तैसे सेना के जवानों ने संभाल रखा है
पर देश के अंदर हमने आस्तीन की साँपो को पाल रखा है
वो जयकारा लगाते हैं अफ़ज़ल की क़ुर्बानी का
वो नारा लगाते हैं भारत की बर्बादी का
उनके कोई अपने नहीं थी आज़ादी की लड़ाई में
वो मोल क्या जाने आज़ादी की क़ुर्बानी का
लाखों भगत शेखर सुभाष बलिदान हुए
और ये कहते हैं आज़ादी चरखे ने लाई हैं
मैं दुश्मन नहीं हुँ चरखे की नीति का
में दुश्मन हूँ उस बँटवारे की रीति का
में नमन बारम्बर करता हूँ
सरदार पटेल की अखंड भारत की सोच को
मैं सत् सत् नमन करता हूँ
बाबा साहेब की समानतावादी सोच को
सावधान....
यें सरदार बाबासाहेब का सपना कहीं टूट न जाए
मक्कारो से भरी इस राजनीति से कही देश फिर टूट ना जाए
सत्तालोभी ये नेता इस्क़दर भुके है
की इस हेतु ना जाने कितने घर फुंके हैं
बस अब बहुत हुआ........
अब हर भारतीय को नींद से जागना होगा
मातृभूमि की रक्षा के लिए दहाड़ना होगा
ललकार लगानी होगी ऐसी की
अट्टालिकाए हिल उठे इन भ्रष्टो कीं
यें उन बलिदानियों क सच्चा सम्मान होगा
की उनका आज़ाद भारत का सपना अटूट होगा
हर्ष लाहोटी
बस्तर(कोण्डागाँव)
9589333342