Tuesday, 25 April 2017

फौजी की पत्नी

शीर्षक :- फौजी की पत्नी 

संदर्भ :- प्रस्तुत कविता देश की रक्षा मे लगे सैनिक (जिसकी कुछ दिनो पहले शादी हुई हैं) की पत्नी की मनो दशा है जो ... आशा है कि आप को पसंद आए गी....... 

कविता :- 

तुझ संग प्रीत लगाई तुझ संग परिणय रचाया है 
तुझे माना अपना ईश्वर तुझमे ही पूरा संसार पाया है 
तेरे लिए ये शृंगार किया तेरे लिए ये महावर लगया है 

अरे अरे ये कैसा विरह संदेश आया है 
कम्बखत ने तुझे मुझसे दूर बुलाया है 
विलाप कर रहा है मन नहीं भाता अन्न का एक भी कण

एक फौजी की अर्धांगिनी हूँ बोध है मुझे 
मेरे से सात वचनों से पहले एक वचन माँ भारती को दिया है आप ने 
मे जानती हूँ माँ की रक्षा को तत्पर मेरे पिया है 

पर क्या करूँ सहम गई हूँ क्योकि 
महावर का रंग अभी छूटा नहीं 
महन्दी अब तक रची काली है 
पिया क्या तेरा अभी जाना जरूरी है 

कोई बात नहीं संजना तुम रण में जाओ भाल तिलक में तेरे करती हूँ 
पर वचन 2 तुझसे लेती हूँ 
वचन दो रण मै दुश्मन को तुम धूल चटा दो गे और दूसरा वचन तुम लोट के जल्दी घर आओगे 


✍🏻हर्ष लाहोटी 
9589333342
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