शीर्षक
:- हुँकार
कविता:-
बंद
पड़े हथियारों आयुधो भरो
करे
कम्पन दुश्मन के ह्रदय
सरकार
अब तुम ललकार भरो
रण
करो अब हुँकार करो
सेना
को अब अधिकार दो
मानवअधिकारियों
को लगाम दो
जो
पत्थर फेके उसे लाल चोंक पे लटका दो
हथियार
दिखाए उसे वही मार दो
बस्तर
हो या कश्मीर
सेना
को अब तैयार करो
घर
के दुश्मन पर अब वार करो
फिर
सीमा का रुख अख्तियार करो
रणकुम्भो रण में असीमित अधिकार दो
यदि
कम पड़े लड़ने को बाजु
संविधान
को रख किनारे
आम
नागरिको को भी हथियार दो
नहीं
बचेंगे दुश्मन देश
बस
अब ये शांति का प्रतिकार करो
सरकार
अब तुम ललकार भरो
रण
करो अब हुँकार करो
हर्ष
लाहोटी (बस्तर)
(9589333342)
(hlahoti20@gmail.com)
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