Monday, 24 April 2017

पापा घर आए थे

शीर्षक :- पापा घर आए थे 

कविता :-
पापा बड़े दिनो बाद आज  घर आए थे

साथ मे मेरे लिए खूब खिलौने ओर चॉकलेट लाए थे
माँ के लिए लाल रंग की साड़ी ओर कंगन लाए थे

उस दिन बहूत समय मेने पापा के संग बिताया था
हर छोटी मोटी बात पापा को बतलाया था

दोपहर को साथ पापा के शहर की शारी गलीया घूम आया था
शाम को बड़े गर्व से अपने दोस्तो को अपने पापा से मिलवाया था


बित गया दिन था तभी पापा को एक फोन आया था
उन्हे जल्दी से वापस बुलाया था

पापा ने माँ को बतलाया था
काश्मीर मे फिर दंगाइयों ने दंगा भड़काया था

सेना ने फिर देश को बचाने मोर्चा संभाला था
पापा का साथ बस अब कुछ देर का था सुबह उन्हे मोर्चे पर जाना था

सुबह जल्दी उठ पापा वर्दी पहन तैयार हो रहे थे
मेने उन से पूछा पापा फिर कब लोट कर आओगे
पापा ने कहा बेटा जल्दी फिर से आऊंगा साथ मे फिर से खूब खिलौने लाऊंगा

बसअड्डे पर पापा की बस आज कुछ जल्दी आई थी
मेने ओर माँ ने उन्हे नम आंखो से दी विदाई थी

कुछ दिन बाद एक फोन माँ को आया था
हमे जल्द से जल्द हॉस्पिटल बुलवाया था

गोलियां लगी है पापा को ऐसा उस फोन करने वाले ने बताया था
हम दो‍डते-बिलखते जब हॉस्पिटल को पंहुचे थे
पापा को जख्मी हालत मे बिस्तर लेटे पाया था

कुछ देर बाद डॉक्टर अंकल हमारे पास आए
ओर बताया कि वो पापा को नहीं बचा पाए

माँ का सुहाग उजड़ गया था
ओर मेरे सर से उठा पीता का साया था

कुछ दिनो पहले पापा का माँ को दिया साड़ी कंगन का तोहफा अब उनके लिए बेकार हो गया था

माँ का रो-रोकर हाल बुरा हो गया था
देर शाम पापा का तिरंगे से लपटा शरीर घर मे आया था

माँ ओर मे सारी रात उनके पार्थिव शरीर से लग कर बेठे थे
मुझे ऐसा लग रहा था पापा अभी उठ जाएंगे

ओर मुझे बाजार खिलौने लेने ले कर जाएँगे
सुबह को बहूत से लोग हमसे मिलने आए थे

फिर वो मनहुष घड़ी आगई थी
पापा की करनी अंतिम विदाई थी

साथी जवानो ने पापा की शाहदत को दी अपनी शलामी थी
ओर फिर अंतिम बार मे पापा का चेहरा देख पाया था
उन्हे अग्नि मेने अपने हाथों से दी थीं


फिर उसी अग्नि पे मेने एक शपथ ली थी
 मे भी सेना मै जाऊँगा ओर पापा की तरह ही मातृभूमि के काम आऊंगा


... ✍🏻हर्ष लाहोटी
9589333342

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